
प्रयागराज। प्रयागराज में गुरुवार तक 28 करोड़ लोगों ने एक ही जगह स्नान किया। इसके बाद भी गंगा जरा भी मैली नहीं हुई। वह आज भी साफ बनी हुई है जैसे पहले थी। इस बात को लेकर आम लाेगों में जिज्ञासा है। सामान्यत: दूसरे स्थानों पर होने वाले कुंभ में ऐसे स्नान के बाद पानी गंदा हो जाता है, मगर प्रयागराज में यह अपवाद है।
भारत की पवित्रतम नदी गंगा सदियों से श्रद्धा, आस्था और वैज्ञानिक जिज्ञासा का केंद्र रही है। करोड़ों लोग इसमें स्नान करते हैं, लेकिन गंगाजल कभी खराब क्यों नहीं होता? यह सवाल वर्षों से वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ था। अब नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) के वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को उजागर कर दिया है।
गंगा के पानी में पाए जाने वाले बैक्टेरियोफेज (Bacteriophage) और टरपीन्स (Terpenes) जैसे प्राकृतिक तत्व इसे खुद-ब-खुद शुद्ध करने में मदद करते हैं। ये तत्व पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं, जिससे गंगाजल की गुणवत्ता बनी रहती है।
गंगाजल में आखिर ऐसा क्या है जो इसे “अमृत” बना देता है?

NEERI के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार के अनुसार, गंगा के पानी में तीन प्रमुख विशेषताएँ पाई गईं, जो इसे दुनिया की दूसरी नदियों से अलग बनाती हैं:
✅ बैक्टेरियोफेज: ये सूक्ष्मजीव गंगा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं और जल को स्वच्छ बनाए रखते हैं।
✅ फाइटोकेमिकल्स (टरपीन्स): ये प्राकृतिक यौगिक पानी में एंटी-बैक्टीरियल गुण उत्पन्न करते हैं और जल की शुद्धता को बरकरार रखते हैं।
✅ घुलित ऑक्सीजन (DO): गंगा के पानी में अन्य नदियों की तुलना में 20% अधिक ऑक्सीजन होती है, जो जल में किसी भी तरह की गंदगी को नष्ट कर देती है।
गंगा जल परीक्षण: वैज्ञानिकों ने किन-किन स्थानों से लिए सैंपल?
NEERI वैज्ञानिकों की टीम ने तीन अलग-अलग ऋतुओं में गंगाजल का विस्तृत अध्ययन किया। इस शोध के दौरान 50 से अधिक स्थानों से पानी के सैंपल इकट्ठा किए गए, जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया।
🔹 गौमुख से हरिद्वार: यह क्षेत्र गंगा के उद्गम का स्रोत है और सबसे शुद्ध जल यहीं पाया गया।
🔹 हरिद्वार से पटना: इस क्षेत्र में भी बैक्टेरियोफेज की मात्रा अधिक पाई गई।
🔹 पटना से गंगासागर: शोध में पाया गया कि जैसे-जैसे नदी आगे बढ़ती है, प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन फिर भी पानी की शुद्धि क्षमता बनी रहती है।
100 साल पुरानी रिसर्च में भी था गंगा जल का जिक्र!
यह कोई नई खोज नहीं है! 1896 में ब्रिटिश वैज्ञानिक अर्नेस्ट हॉकिंस ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि गंगा के पानी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो इसे सड़ने नहीं देते और जलजनित बीमारियों से बचाते हैं।
कुंभ में लाखों लोग स्नान करते हैं, फिर भी महामारी क्यों नहीं फैलती?
👉 हर 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार, गंगा मात्र 5-10 किलोमीटर के अंदर खुद को फिर से शुद्ध कर लेती है!
कैसे?
✅ बैक्टेरियोफेज और फाइटोकेमिकल्स गंगाजल को तुरंत साफ कर देते हैं।
✅ नदी का तेज प्रवाह गंदगी को बहाकर दूर कर देता है।
✅ घुलित ऑक्सीजन गंगाजल को रोगाणुरहित बनाए रखती है।
