सरलता की प्रतिमूर्ति महामण्डलेश्वर डॉ. चैतन्यस्वरूप स्वामी

● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के लोधीपुरा गाँव में 20 अगस्त 1953 को जन्मे, वेदान्त केशरी महामण्डलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज चित्रकूट में 1967 में ही दीक्षित होकर संन्यास आश्रम में आ गए। ऐसे संत डॉ. चैतन्यस्वरूप स्वामी सहज, सरल और सर्वस्वीकार्य संत हैं।आपने 1974 में इन्दौर आकर बीएएमएस का अध्ययन […]

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नागा संन्यासी के रूप में जीवन: तपस्वी मार्ग अपनाना

नागा संन्यासी, जो अपने गहन आध्यात्मिक अनुशासन के लिए पूजनीय हैं, कठोर नियमों का पालन करते हैं, जिसके लिए अटूट प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। इस तपस्वी जीवनशैली को अपनाने के बाद, वे तपस्या और सांसारिक जीवन से विरक्ति से चिह्नित मार्ग को अपनाते हैं। नागा संन्यासी होने के मूल सिद्धांतों में से एक आजीवन […]

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भारतीय अध्यात्म के प्रतीक स्वामी विवेकानंद

आधुनिक सदी में भारतीय अध्यात्म के प्रतीक एवं रामकृष्ण परमहंस के शिष्य रहे नरेन्द्रनाथ दत्त का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ। वे कालांतर में स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रख्यात हुए। नरेन्द्रनाथ ने 1879 में एंट्रेंस परीक्षा पास की और वे प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता से 1884 में बी.ए. हुए। उन्होंने कानून की […]

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सुनी हो गई भट्टयाँण, नर्मदालीन हुए ‘संत सियाराम’

सियाराम मय तैली भट्याण ● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्यप्रदेश के खरगोन जिले की कसरावद तहसील में एक छोटा-सा गाँव है तैली भट्यांण। वैसे तो यह गाँव नर्मदा के तट पर प्राकृतिक सौंदर्य से आह्लादित है किन्तु इस गाँव की प्रसिद्धि देश-विदेश में होने का महत्त्वपूर्ण और एकमात्र कारण हैं संत सियाराम बाबा।कुछ 60-70 वर्ष […]

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