● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के लोधीपुरा गाँव में 20 अगस्त 1953 को जन्मे, वेदान्त केशरी महामण्डलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज चित्रकूट में 1967 में ही दीक्षित होकर संन्यास आश्रम में आ गए। ऐसे संत डॉ. चैतन्यस्वरूप स्वामी सहज, सरल और सर्वस्वीकार्य संत हैं।
आपने 1974 में इन्दौर आकर बीएएमएस का अध्ययन किया और इस अध्ययन का लाभ इंदौर की जनता को मिला क्योंकि 1980 से 2008 तक लगभग 28 वर्षों तक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र का संचालन अखण्डधाम आश्रम पर किया, जहाँ आपने जनता की सेवा की और निःशुल्क उपचार किया। और वर्तमान में गौशाला, गौ सेवा सहित संतसेवा इत्यादि जारी है। वर्ष 2001 में इलाहबाद कुम्भ में चित्रकूट अखाड़ा यानी अखण्ड सच्चिदानंद अखाड़े ने महामण्डलेश्वर पदवी प्रदान की।
वर्तमान में स्वामी जी के 10-15 संन्यासी शिष्य हैं एवं सैंकड़ों गृहस्थ शिष्यवृन्द हैं।
डॉ. चैतन्य स्वरूप स्वामी जी के संन्यास आश्रम की ओर प्रवृत्त होने के पीछे ग्रामाँचल है। उनके साँसारिक गाँव लोधीपुरा में उनके घर के समीप ही अखण्डानन्द जी की समाधि और आश्रम था, नियमित जाना-आना लगा रहता था। जुड़कर संयम भाव जागृत हुए और वेदान्त केशरी लक्ष्मणानंद जी से दीक्षा ग्रहण कर ली।
माँ अहिल्या की नगरी इंदौर में अखण्डधाम आश्रम का संचालन एवं व्यवस्था आप ही जुटा रहे हैं। साथ ही, सैंकड़ों गौवंश की सेवा गौशाला के माध्यम से स्वामी जी कर रहे हैं। प्रतिवर्ष संत वेदान्त सम्मेलन का आयोजन भी करते हैं, जिससे हज़ारों धर्मप्रेमी लोग जुड़ते हैं और सनातन का प्रचार-प्रसार होता है।
