
सनातन धर्म सबसे पुराना धार्मिक दर्शनशास्त्र है और यह मूल्यों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का वर्णन करता है जो ब्रह्मांड के निर्माता ने प्रतिष्ठापित की हैं। इनका पालन सभी को, जीवित या निर्जीव, मनुष्य को भी, करना है। सनातन धर्म के शास्त्र ‘वेद’ विश्व के सबसे पुराने लिखित ग्रंथ हैं जो कम से कम 7500 ईसा पूर्व वर्ष के हैं।
धर्म शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में है जो सृजित प्राणियों खासतौर पर ब्रह्मांडीय (जैसे सूर्य) के लिए उपयोग किया गया था कि उनको निर्धारित पद्धति के अनुसार ही चलना है। यह धारणा थी कि अगर वह उस निर्धारित पद्धति के अनुसार नहीं चलेंगे तो वो कई प्रकार की आपदाओं और कष्टों के लिए जिम्मेदार होंगे।
धर्म शब्द का उपयोग मानवों के लिए उनके प्राकृतिक, धार्मिक, सामाजिक व नैतिक क्षेत्र में किया गया कि उनको मूल्यों, कर्तव्यों व जिम्मेदारियों, अधिकारों, कानूनों, चरित्र, गुणों , सही तरीके से रहना, नीतिपरायणता की पद्धति का अनुसरण करना है। धर्म सार्वभौमिक है और यह सभी मानवों पर लागू होता है।